Saturday, September 8, 2012

पिलानी के पत्ते कुछ


शाख पिलानी के एक पेड़ की,
पत्ते थे कुछ रंग बिरंग
अनोखे, मदमस्त, छबीले

हँसते गाते थे संग संग

फिर कुछ यूँ एक हवा चली
पत्तों ने कहा अलविदा
उड़ चले वो इक नयी दाल पर
राहें उनकी जुदा जुदा

पर आज भी...

यादें मयस्सर है उस फिजां में
ज़ज्बात है जिंदा इस ज़हान में
नूर-ए-दोस्ती उन पत्तों की
दमक रही है आसमान में ....

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