Tuesday, July 10, 2012

ओ वूमनिया - एक विवेचन

यह गीत "Gangs of Wasseypur" फिल्म से लिया गया  है. गाने के बोल लिखे है वरुण ग्रोवर ने और इसे संगीत से सजाया है स्नेहा खंवालकर ने. यह गाना फिल्म के कलाकार मनोज वाजपेयी और रीमा सेन पर फिल्माया गया है. गीत में श,  ड़  और ण के उच्चारण तथा पटना, सिवान के जिक्र से साफ़ मालूम पड़ता है की ये मूलतः बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित है.  गीत का प्रमुख उद्देश्य है काल्पनिक किरदार " वूमनिया" के जटिलता को दर्शाना. गीत पूरी तरह से स्लेशार्थक है और गीत का  निर्वचन श्रोता की मनोदशा पर निर्भर करता है .

आलाप -
"ताड़े जो बबुना तड़ती बबुनी
बबुना के हत्थे न चढ़ती बबुनिया "
 जब बाबू साहेब वूमनिया को निहार रहे है तो वूमनिया को भी इसमें आनंद प्राप्ति हो रही है .  दूसरे पंक्ति के शाब्दिक अर्थ पर ना जाये. क्यूंकि अगर रीमा सेन जैसी भारी भरकम महिला अगर मनोज वाजपेयी के हाथ पर सीधे चढ़ जाए तो रामाधारी सिंह से बदला लेना तो दूर , वाजपेयी जी अपने नित्य क्रिया कलापों को करने में भी असमर्थ हो जायेंगे. गीतकार का तात्पर्य ये है की बबुना से आँखें चार होने के बावजूद वूमनिया आसानी से खुद को समर्पित नहीं करती है.

पुनरावर्ती -
ओ वूमनिया , ओ वूमनिया ....
नेपथ्य से और गायिका द्वारा वूमनिया को बारम्बार संबोधित किया जाता है. इसका आशय ये है की वूमनिया थोडा ऊंचा सुनती है. क्यूँकी जब गायिका अकेले दम पर वूमनिया का ध्यान आकर्षित नहीं कर पाती है तो वो अपने सहेलियों को भी उसे संबोधित करने को कहती है. ये लय पूरे गाने में बरक़रार है और गायिका की पंक्तियों को १-२ बार दोहराने के बाद ही वूमनिया का ध्यान आकृष्ट होता है.

अंतरा -
"मांगे जो बबुना प्रेम निशनियाँ
बोले जो ठोडी, कटिहो कनिया
बदले रुपैया के दे ना चवनियाँ
सैय्या जी झपटे तो होना हिरनिया "
यहाँ वूमनिया को सावधान किया जा रहा है की जब बबुना उससे प्रेम के प्रतीक की मांग करे , जो उसे ठोडी पर चुम्बन देने के बजाय उसका कान काट ले. जाहिर है वूमनिया पर "Return on Investment" काफी कम है. उसे सलाह दी जा रही है की २५% return काफी है बबुने के लिए. जाहिर है इससे बबुना आवेश में आ जाएगा और वूमनिया पर झपटने की कोशिश करेगा. ऐसा होने की सम्भावना पर पहले ही विचार किया जा चुका है और ऐसी परिस्थिति में वूमनिया को चपलता से हिरण सामान भागने की सलाह दी गयी है. इससे प्रतीत होता है की वूमनिया कोई आसान शिकार नहीं है और उसे पाने के लिए बबुना का काफी पापड़ बेलने पड़ेंगे.

"रह रह कर मांगे चोली बटनिया
जी में लुकाये लोट- लोतनियाँ
चाहे मुझौसा जब हाथ सिकनियाँ
कन्धा में देना जी दांत बुकनिया "
बबुना काफी निर्लज और छिछोरा किस्म का मालूम पड़ता है. वूमनिया को आगाह किया जा रहा है की जब वो चोली के बटन की मांग करे , तो उसकी वास्तविक इच्छा उसके साथ लोट पोट करने की है . उसके बाद गीतकार ने श्रोता को क्षणिक दुविधा में डाल दिया है. वूमनिया का शरीर बुखार से भी गर्म हो सकता है और हो सकता है बबुना उस पर हाथ सेंक कर उसकी पीड़ा कम करने की कोशिश कर रहा हो. परन्तु जिस प्रकार बबुने को गाली से नवाज़ा गया है और वूमनिया की हिंसक प्रवृति को दर्शाया गया है उससे जाहिर है की बबुना की मंशा ठीक नहीं होगी. ऐसे में वूमनिया को बबुना के कंधे में दांत गडा देने के लिए उकसाया गया है. चूँकि ये गीत वूमनिया केन्द्रित है, उसमे बबुना की पीड़ा को महत्व नहीं दिया गया है .

"बोलेगा बबुना चल जयिहो पटना
पटना बहाने वो चाहेगा सटना
दयिहो ना बबुना को टिकेट कटनिया
पटना ना जाना चाहे जाना सिवानियां"
वूमनिया द्वारा इतनी बार दुत्कारे जाने के बाद ये अनुमान लगाया जा रहा है की बबुना एक स्वांग रचेगा और उसे पटना ले चलने का आग्रह करेगा. दरअसल इसके पीछे उसका असली मकसद वूमनिया के करीब होना होगा. पटना तो बस एक बहाना होगा. ऐसे में वूमनिया को समझाया जा रहा है की बबुना को किसी भी स्थिति में टिकट नहीं कटाने दे, चाहे इसके कारण उसे सिवान ही क्यों ना जाना पड़े .

गीत के अंदाज़ से ये प्रतीत होता है वूमनिया थोड़ी विकट और बोक्की किस्म की नारी है. इसलिए उसकी मीमांसा को महत्व नहीं दिया गया है और उसे हर कदम पर गुमराह करने की कोशिश की गयी है. उसे अनेक मौकों पर हिंसक और सख्त कदम लेने को उकसाया गया है . कुल मिलाकर यह गाना काफी उच्चतम श्रेणी का है. गीतकार ने काफी मंझे हुए अंदाज़ में वूमनिया की नाकाबिलता को पेश किया है. और उतने ही बेहतरीन अंदाज़ में उसे कदम - कदम पर मसालेदार सलाह भी दी गयी है .

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया समझाया है....शुक्रिया...

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